होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है यह एकता आनंद और परंपराओं का एक भव्य
होलिका दहन हर साल होता है और इसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है होली के उत्सव के साथ-साथ होलिका की अग्नि में सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश किया जाता है
होलिका पूजन की विधि और उसकी सारी जानकारी:-
इस बार 2025 में होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार को मनाया जाएगा होलिका दहन का समय 13:25 से 14 मार्च के मध्य रात्रि 12:26 तक होगा यानी की होलिका दहन की अवधि 1 घंटा 11 मिनट की होगी|
इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा इस कारण रात 11:26 के बाद होलिका दहन करना शुभ होगा होलिका दहन करने से पहले होली की पूजा की जाती है |इस पूजा को करते समय पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर कर बैठना चाहिए|सामग्रियां लेनी चाहिए जैसे की लोटा जल ,माला, रोली, चावल, गंध पुष्प, साबुत हल्दी गुलाल आदि इसके अलावा कुछ पकी हुई फसले जैसे चैन की बालियां गेहूं की बलिया भी सामग्री के रूप में रखी जाती है ।
होलिका दहन करते समय उपलों की माला लानी चाहिए ।एक माला पितरों के नाम की एक हनुमान जी के नाम की एक और एक अपने घर परिवार के नाम की होती है ।कच्चे सूट को होलिका के चारों ओर तीन या सात बार लपेटना होता है और फिर एक लौटे में से शुद्ध जल और अन्य वस्तुएं भी एक एक करके होलिका को समर्पित की जाती है। रोली चावल और पुष्प को भी इस पूजा में प्रयोग किया जाता है ।इसके बाद विधिपूर्वक होलिका का पूजन किया जाता है और पूजा के बाद थोड़ा सा जल चढ़ा के जल का आर्ग दिया जाता है।
होलिका दहन का महत्व पौराणिक कथाओं से कहीं अधिक है ।होलिका के जलाने की परंपरा आत्मा की शुद्धि और मन की पवित्रता का प्रतीक है ।यह व्यक्तियों को होली के उत्सव के लिए तैयार करती है।